पुराने जमाने में
भले ही शाही बारातें आम रही हो, लेकिन आज के आधुनिक जमाने में यह नजारे शायद ही देखने को मिलते हैं. बीच सड़क पर ऊंट पर अगर दूल्हा बैठा नजर आए तो हर किसी को अचरज होगा ही. क्योंकि अब वो जमाना नहीं रहा कि ऊंटों पर बारात जाए. लोग कारों में सवार होकर बारात जाते हैं. इतना ही नहीं दूल्हे के लिए तो कार को खासतौर पर सजाया जाता है. राजस्थान के बाड़मेर में एक अलग ही नजारा देखने को मिला जहां ऊंट पर दूल्हा अपनी दुल्हन को लेने के लिए अपने ससुराल पहुंच गया. पुरानी परंपरा को जीवित रखने के लिए पिता ने अपने बेटे की बारात ऊंटों पर निकाली है.
पाकिस्तान सीमा से सटे सरहदी बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी उपखंड क्षेत्र के डाबड़ ग्राम पंचायत के राजस्व गांव उदाणियों की ढाणी में एसबीसी कांग्रेस जिलाध्यक्ष भादाराम देवासी के पुत्र डॉ . सुखदेव देवासी की बारात उनके निवास से 11 ऊंटों पर निकाली गई. डाबड़ गांव से ऐसी बारात पहली बार निकली है जिसके सपने कई लोग देखते है और अपनी इच्छाओं को मन मे ही दबाए रखते थे.
भादाराम देवासी
पेशे से एसबीसी कांग्रेस जिलाध्यक्ष एवं समाजसेवी हैं. डॉ. सुखदेव के पिता भादाराम का कहना है कि जब उनकी बच्चे की बारात पुरानी परंपराओं के हिसाब से निकाली. यह बारात करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करके नया नगर के देशान्तरी नाडी गांव निवासी पुरखाराम देवासी के यहां पहुंची. दूल्हा ड़ॉ सुखदेव बताते हैं कि यकीनन जब मेरी बारात गांव से निकल रही थी और जिस तरीके से लोगों के चेहरों पर खुशी थी वह देखकर एक बात पर तो यकीन हो गया कि लोगों को आज भी अपनी पुरानी परंपराओं से बहुत प्यार है.
इतना ही नहीं इस पल के साक्षी डाबड़ सरपंच पांचाराम विश्नोई सहित कई जनप्रतिनिधि और ग्रामीण बने. थार के रेगिस्तान में अब इस तरह की शादियों का प्रचलन बढ़ता देख लोग अपनी पुरानी परम्पराओं एक बार फिर जीवित होता देख रहे हैं.