आपने कई शादी देखी होंगी,
सुनी होंगी पर हम आज आपको एक अनोखी शादी के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बेटा बना बाराती। यह किस्सा है यूपी के उन्नाव के गंज मुरादाबाद के ग्राम रसूलपुर रूरी का। रसूलपुर रूरी निवासी 58 वर्षीय नारायण और मियागंज ब्लाक के ग्राम मिश्रापुर निवासी 55 साल की रामरती 2001 से एक साथ गांव में रह रहे थे। परिवार में कोई और न होने के कारण वह दोनों बटाई पर खेती और मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं।
क्या है पूरा किस्सा?
इस गांव में 20 सालों से साथ रह रहे 58 वर्षीय नारायण और 55 वर्षीय रामरती ने शादी की रस्में निभाईं जिसमें उनका 13 वर्षीय बेटा भी बाराती बना। दरअसल यह दंपति इतने वर्षों से गांव में बिना ब्याह के रह रहा था जिसके चलते लोग उन्हें ताना मारा करते थे। इन्हीं तनों से बचने के लिए इस दंपति ने उम्र के इस पड़ाव पर भी शादी की रस्में निभाने का निश्चय किया। शादी का सारा खर्च ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने मिलकर उठाया और इनका विवाह रचाया।
नारायण ने बताया
रामरती से हमारी मुलाकात लगभग 20 साल पहले एक रिश्तेदार के जरिए हुई थी। उनके भी मां-बाप नहीं थे और हम भी अकेले थे। ऐसे में हम लोगों ने साथ रहने का फैसला किया। तब हमने कोर्ट मैरिज की थी लेकिन शादी की रस्में नहीं अदा की थी। उस समय हम बाहर ज्यादा रहते थे, कभी कानपुर तो कभी उससे भी आगे मजदूरी के लिए जाना होता था। फिर जब हम घर वापस आए तो हम दोनों साथ रहने लगे।
क्यों थी गांव वालों को नाराज़गी?
नारायण बताते हैं कि यूं तो 20 साल पहले ही हम दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली थी लेकिन गांव के लोग हमारा संबंध नाजायज समझते थे। आए दिन लोग हम पर ताने कसते थे। हमारा एक 13 साल का बेटा है, वह भी गांव वालों के रवैये से परेशान रहता था, तब प्रधान रमेश से राय मशविरा किया और फिर हमने शादी का निर्णय लिया।
प्रधान रमेश कुमार ने बताया कि
नारायण की बारात में गांव वालों ने मिलकर शादी की सारी व्यवस्था की, खाने पीने से लेकर डीजे और टेंट तक की व्यवस्था गांव के सहयोग से हुई। यही नहीं करीब आधा दर्जन से ज्यादा गाड़ियों से बाराती गांव के बाहर बने ब्रह्मबाबा मंदिर पहुंचे जहां नारायण और रामरती की शादी कराई गई, उनकी शादी में 13 साल का बेटा भी बाराती बना था।