पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है की एक दिन इंद्र देव की पूजा को भंग कर देने के कारण उन्हें बेहद भयंकर गुस्सा आ गया था और उसके चलते उन्होंने गोकुल में ज़ोरों की बारिश करवा दी थी और गोकुल में बाढ़ आ गयी थी। उस बाढ़ से गोकुल के लोगो को बचने के लिए श्री कृष्ण जी नें गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी ऊँगली पर उठा लिया था जिससे गोकुल के सभी लोग सुरक्षित बच गए थे। उसी के बाद से ही सभी लोगों ने गोवर्धन पूजा करना शुरू कर दिया था और आज तक यह चलता आ रहा है।
गोवर्धन पूजा का फल
गोवर्धन पूजा सभी के लिए आदिकाल से ही बेहद फायदेमंद और शुभ रही है। माना जाता है की यदि आप श्री कृष्ण जी के परम भक्त है और आप श्री कृष्ण जी की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको गोवर्धन पूजा अवश्य करनी चाहिए। मान्यता है की इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से आप पर और आपके परिवार जनों पर श्री कृष्ण जी की कृपा सदेव के लिए बन जाती है।
गोवर्धन पूजा का महत्व
हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का बेहद महत्व है, गोवर्धन पूजा सुबह-सुबह की जाती है। गोवर्धन पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और फिर इसपर अन्न, खीर, हलवा और मिष्ठान चढ़कर पूजा की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा का बेहद ही शुभ महूर्त है जो की होगा सुबह 5:28 मिनट से लेकर 7:55 मिनट तक। यह महूर्त सुबह का था और शाम का भी एक शुभ महूर्त है जो 5 बजे से 6 बजे के बीच तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा की उचित विधि
इस बार गोवर्धन पूजा 5 नवम्बर 2021 को होगी, गोवर्धन पूजा के लिए बताये गए शुभ महूर्त पर घर के आँगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं और उसपर रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और एक मुह का बड़ा दीपक प्रजलित करें। माना जाता है की यदि आप इस दिन सही विधि विधान और शुद्ध मन से गोवर्धन पूजा करें तो आप पर श्री कृष्ण की कृपा होगी। साथ ही गोवर्धन पर्वत की कहानी पूजा के दौरान बच्चों को अवश्य सुनाएँ।
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