श्री राम को हम पूजनीय मानते है हिन्दू धर्म में इनको सर्वोपरी माना जाता है लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है की श्री राम के इंसान के रूप में धरती पर आये थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन इंसान के रूप में बिताया था। लेकिन क्या आप जानते है माता सीता ने श्रृष्टि के चार प्राणियों को ऐसा श्राप दिया था जिसका असर आज भी देखने को मिलता है।
आज हम इसी श्राप का जिक्र कर रहे है इससे जुड़ी कहानी का भी हम जिक्र करेंगे तो आइये जानते है माता सीता ने फल्गु नदी और इन चारों को श्राप क्यों दिया था आखिर क्यों यह लोग आज भी माता सीता के श्राप से घिरे हुए है।
माता सीता ने किया था दशरथ का पिंडदान
वैसे तो आज पुरुष ही अपने बड़ों का पिंडदान करते है लेकिन एक सत्य यह भी है की श्री राम ने अपने पिता का पिंडदान नहीं किया था। जब उन्हें पता चला की उनके पिता नहीं रहे है और जब वह उनके अंतिम समय तक उनसे मिल नहीं पाए तो उसके बाद जब उनको जला दिया गया तो श्री राम गैया नदी (फल्गु नदी) में उनका पिंडदान करने के लिए आये थे।
लेकिन वह सामग्री इकट्ठा कर रहे थे तभी दशरथ जी की छवि माता सीता के सामने आती है वह उनसे कहते है की उनका पिंडदान कर दो उनके पास समय बहुत कम है माता सीता श्री राम को बुलाती उससे पहले ही दशरथ जी की छवि ने उनसे पिंडदान का कहा। तो माता सीता ने बालू के गोले बनाये और फल्गु नदी में विसर्जित कर दिए इससे दशरथ जी को मुक्ति मिल गई।
राम आये तो सुनाया पूरा घटनाकर्म
जब श्री राम लौटकर आये तो माता-सीता ने अपने साथ हुई घटना के बारें में बताया लेकिन श्री राम क्रोधित थे और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था उसी वक्त माता सीता ने कहा की मैंने पांच लोगों के सामने यह किया है मैं उनसे सच कहला सकती हूँ।
उस वक्त जब माता सीता पिंडदान कर रही थी उस वक्त वहां गाय, कोआ, ब्राह्मण, नदी और वटवृक्ष था। माता सीता ने पांचो को बुलाया और सच बताने के लिए कहा लेकिन श्री राम के गुस्से को देखते हुए ब्राह्मण ने झूठ बोल दिया की ऐसा कुछ नहीं हुआ, नदी ने भी ठीक ऐसा ही किया, कोआ भी मुकर गया और गाय भी मना कर देती है लेकिन वटवृक्ष सच बताता है ऐसे में माता सीता को क्रोध आता है।
माता सीता ने दिया श्राप और वटवृक्ष को दिया वरदान
माता सीता ने कहा की हे ब्राह्मण तूने झूठ बोला और इसकी सजा यह है की तुम्हारे पास कितनी भी धन दौलत आ जायेगी तूं हमेशा दरिद्र ही बनकर रहेगा। कोए को कहा की तुम हमेशा कू-मौत ही मरोगे, नदी को कहा की तुम्हारे उपर लहरे कभी नहीं बहेगी तुम हमेशा उपर से सुख जाओगी और गाय को कहा की तुम हमेशा लोगों की जूठन ही खाओगी।
वहीँ वटवृक्ष को वरदान देते हुए कहा की एक वृक्ष अब यहाँ सबसे पहले आपकी पूजा होगी और उसके बाद ही पिंडदान स्वीकार किया जाएगा और इस बात की सच्चाई आप गैया घाट जाकर देख सकते है। वहां आपको यह हर एक बात सत्य लगेगी और यही सत्य है। ऐसी ही अच्छी जानकारी पढने के लिए अपना ज्ञान बढाने के लिए हमें फॉलो करें ताकि आपको हम ऐसी जानकारी हर रोज देते रहें।