हिंदू धर्म में अनेक रीति-रिवाजों के बारे में बताया गया है हमारे समाज में पुरानी परंपराओं से ही श्रृंगार को अत्यधिक महत्व दिया गया है। हिंदू धर्म के अनेक शास्त्रों में बताया गया है कि शादी के बाद सुहागिन महिलाएं माथे पर बिंदी या तिलक लगाती है। महिलाओं के लिए बिंदी खूबसूरती का प्रतीक होती है विवाहित महिलाओं के लिए माथे में बिंदी लगाना बहुत ही शुभ माना गया है। जहां महिलाएं बिंदी लगाती है वह बहुत ही संवेदनशील अंग होता है जो कि महिलाओं के यश को बढ़ाता है।
बिंदी को माथे के बीचो-बीच में लगाई जाती है जहां महिलाएं बिंदी लगाती है वह दोनों आंखों के बीच का भाग होता है जो कि एकाग्रता का प्रतीक है। महिलाओं के माथे में बिंदी लगाने के कारण: –
- महिलाओं के बिंदी लगाने से माथे में दबाव बनता है जिससे चेहरे की मांसपेशियां मजबूत होती है और रक्त का संचार बढ़ता है वैज्ञानिकों के अनुसार रक्त संचार तेज होने से चेहरे की मांसपेशियां मजबूत होती है और चेहरे की सुंदरता में काफी निखार आता है।
- धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से महिलाओं के बिंदी लगाने से उन्हें मानसिक शांति मिलती है और सभी इंद्रियां जागृत होती है। जो उनके तनाव और थकान को कम करती है।
- जिस स्थान पर महिलाएं बिंदी लगाती है वह बहुत ही एकाग्रता का स्थान होता है जो कि आंखों को अलग-अलग दिशाओं में देखने में मदद करता हैं यह सभी मांसपेशियों में संतुलन बनाए रखता है जिस से आंखों की रोशनी बढ़ती है और मन नियंत्रित रहता है।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से माथे में बिंदी लगाने से रक्त संचार बढ़ता है, जिस से अनिद्रा की समस्या नहीं रहती है।
- महिलाओं के बिंदी लगाने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और उन्हें शारीरिक शांति देती है जो कि उनकी शारीरिक उत्तेजना को बढ़ाने में मदद करती है।
वास्तु शास्त्र में भी महिलाओं को बिंदी लगाना बहुत ही शुभ माना गया है अगर विवाहित महिलाएं बिंदी नहीं लगाती है तो बिना तिलक या बिंदी के महिलाओं को देखना अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि जो विवाहित महिलाएं माथे में बिंदी नहीं लगाती , वह जल्दी ही विधवा हो जाती है। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि विवाहित महिलाओं को माथे में बिंदी या तिलक अवश्य लगाना चाहिए। माथे में बिंदी लगाने से दिमाग शांत रहता है, और तनाव कम होता है।
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